Geeta. अष्टावक्र संहिता अध्याय XIX : आत्म-स्थित क्व भूतं क्व भविष्यत् वा वर्तमानम् अपि क्व वा । क्व देश: क्व च वा नित्यं स्वमहिम्न स्थितस्य मे ॥३॥ भूत कहाँ, भविष्य कहाँ और फिर वर्तमान ही रहाकहाँ शून्य कहाँ और अनन्त कहाँ उसको जो योगसिद्ध होकर बैठा ॥३॥ क्व च आत्मा क्व च अनात्मा क्व शुभम् क्व अशुभम् तथा । क्व चिन्ता क्व च वा अचिन्ता स्वमहिम्न स्थितस्य मे ॥४॥ आत्म कहाँ अथवा अनात्म कहाँ शुभ कहाँ और फिर अशुभ कहाँ चिन्त्य और अचिन्त्य फिर रहा कहाँ उसको जो योगसिद्ध होकर बैठा ॥४॥ Paavan Teerth