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GENETIC CURE OF DIABETES

डायबिटीज वाले , जल्दी ही चाहिए यही कमाल। प्री-प्रिनसुलिन से इंसुलिन तक?️ आईएनएस इंसुलिन जीन का अनुवाद राइबोसोम पर अग्न्याशय के लैंगरहैंस के आइलेट्स के बीटा कोशिकाओं में किया जाता है । अनुवाद का उत्पाद एक निष्क्रिय पॉलीपेप्टाइड है जिसमें 106 अमीनो एसिड होते हैं जिन्हें प्री-प्रोन्सुलिन के रूप में जाना जाता है । प्री-प्रिनसुलिन राइबोसोम से रफ एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम के चैनलों में चला जाता है जहां यह एक प्रोटीज एंजाइम द्वारा कार्य किया जाता है जो इस अणु के प्रमुख 24 अमीनो एसिड को हटा देता है, एक संकेत अनुक्रम । यह 82 अमीनो एसिड के एक निष्क्रिय अग्रदूत अणु को छोड़ देता है जिसे प्रिनसुलिन कहा जाता है । प्रोन्सुलिन को गोल्गी कॉम्प्लेक्स में ले जाया जाता है जहां यह आगे संशोधन से गुजरता है । गोल्गी कॉम्प्लेक्स में, प्रोन्सुलिन अणुओं को मोड़ दिया जाता है, सहसंयोजक बंधन बनते हैं और अणुओं को झिल्ली-बाध्य स्रावी कणिकाओं में पैक किया जाता है । स्रावी कणिकाओं के भीतर, प्रिनसुलिन को एक एंजाइम द्वारा साफ किया जाता है जो 31 अमीनो एसिड के एक खंड को हटा देता है, जिसे सी चेन (या सी पेप्टाइड) कहा जाता है । शेष सक्रिय इंसुलिन अणुओं का निर्माण करता है, प्रत्येक एक ए श्रृंखला और एक बी श्रृंखला से बना होता है जो मजबूत सहसंयोजक डाइसल्फ़ाइड - एस – एस - बॉन्ड द्वारा एक साथ रखा जाता है । सक्रिय इंसुलिन को तब गोल्गी कॉम्प्लेक्स से रक्तप्रवाह में आवश्यकतानुसार निर्यात किया जाता है । इसकी रिहाई का संकेत सामान्य रक्त शर्करा के स्तर में वृद्धि है । यह आंकड़ा प्री-प्रोन्सुलिन को इंसुलिन में बदलने की इस प्रक्रिया का एक सरलीकृत सारांश देता है । प्री-प्रिनसुलिन से सक्रिय इंसुलिन के गठन को दर्शाने वाला आरेख। (ए) प्री-प्रिनसुलिन, जीन अनुवाद का तत्काल उत्पाद, प्रमुख सिग्नल अनुक्रम को हटाकर जल्दी से प्रिनसुलिन में संशोधित किया जाता है । (बी) इंसुलिन के निष्क्रिय अग्रदूत प्रोन्सुलिन को सी श्रृंखला को हटाकर सक्रिय इंसुलिन में संशोधित किया जाता है । (सी) सक्रिय इंसुलिन सी टुकड़े को हटाने से बनता है, ए और बी श्रृंखलाओं को सहसंयोजक डाइसल्फ़ाइड बांड द्वारा एक साथ रखा जाता है ।

Ghazal--202

दोस्तों पेश-ए-ख़िदमत है एक पुरानी ग़ज़ल अर्ज़ किया है- ग़ज़ल -------------------------- सियासत की बिना पे क्या किसी को तू बनाता है यहाँ मुस्लिम का बधना भी कोई हिन्दू बनाता है//१ हमारी खाट को जुम्मन चचा बुनते हैं हाथों से और उसके वास्ते तोशक मदन काकू बनाता है//२ पढ़ा लिक्खा हो नेता या नहीं,मंसूब इससे क्या यहाँ सरकार की हर योजना बाबू बनाता है//३ अगर आदम का बच्चा है तो मिहनत की डगर पर चल किसी के सामने क्यों भीख का चुल्लू बनाता है//४ कोई चिमटा बनाता है बनाने के लिए रोटी उसी लोहे के टुकड़े से कोई चाक़ू बनाता है//५ ख़िरद को रब की जानिब मोड़ती हैं मुश्किलें जाँ की ज़मन का दर्द ही इंसाँ को चारा जू बनाता है//६ अगर शौहर को तू लड़ने की ताक़त दे नहीं सकता तो फिर बीवी को क्यों तू ऐ ख़ुदा गबरू बनाता है//७ हक़ीक़त 'र' पे भी है अयाँ ऐ ख़ालिके दुन्या मिटा सकता है उसको कौन जिसको तू बनाता है //८ सियासत-राजनीति बिना पे-आधार पे बधना-लोटा,utensil(made of clay)with a pipe to wash;for ablution तोशक-खाट पे बिछाने वाला गद्दा मंसूब-संबंधित आदम-आदमी चुल्लू-अंजुलि ख़िरद-बुद्धि,अक़्ल जानिब-तरफ़,जानिब ज़मन-समय,ज़माना,काल,संसार चारा जू-समाधान ढूँढने वाला गबरू-हृष्ट-पुष्ट अयाँ-स्पष्ट,ज़ाहिर,दृष्टिगोचर,प्रकट,व्यक्त ख़ालिके दुन्या-दुनिया की रचना करने वाला अर्थात ईश्वर

Ghazal-201

ग़ज़ल ----- अर्ज़ किया है- चिंता नहीं है कुछ,मेरी दुनिया मज़े में है सागर में खो के जैसे कि दर्या मज़े में है //1 मैंने सुना है जागना-सोना मज़े में है मेरे बिना भी आपकी दुनिया मज़े में है //2 उसको भी आसमान की आती है याद पर हम सोचते हैं पिंजरे में तोता मज़े में है //3 इक हम है तेरे नाम जो हर सू हुए ज़लील जबकी तेरी गली का भी कुत्ता मज़े में है //4 दुनिया में आके उसको भी रोना है ज़ार ज़ार जब तक है मां के पेट में, बच्चा मज़े में है //5 कब तक मनाए ख़ैर वो, रेशम के वास्ते जब तक उबाला जाए न, कीड़ा मज़े में है //6 खा लो तुम अपने पैसों से तुमको अगर है भूख रहने दो मेरी जेब में रुपया, मज़े में है //7 आख़िर में उसको जाना है लोगों के पेट में जब तक नहीं बिका है, समोसा मज़े में है //8 थूका कभी तो जाएगा नाली में एक दिन जब तक है मुँह में आपके, गुटखा मज़े में है //9 मैंने सुना है बीवी के बाद-अज़-वफ़ात 'राज़' साली के साथ इन दिनों जीजा मज़े में है //10 چنتا نہیں ہے کچھ، میری دنیا مزے میں ہے ساگر میں کھو کے جیسے کہ دریا مزے میں ہے //1 میں نے سنا ہے جاگنا سونا مزے میں ہے میرے بنا بھی آپکی دنیا مزے میں ہے //2 اسکو بھی آسمان کی آتی ہے یاد پر ہم سوچتے ہیں پنجرے میں طوطا مزے میں ہے //3 اک ہم ہے تیرے نام جو ہر سو ہوئے ذلیل جب کی تیری گلی کا بھی کتا مزے میں ہے //4 دنیا میں آکے اسکو بھی رونا ہے زار زار جب تک ہے ماں کے پیٹ میں، بچہ مزے میں ہے //5 کب تک منائے خیر وہ، ریشم کے واسطے جب تک ابالا جائے نہ، کیڑا مزے میں ہے //6 کھا لو تم اپنے پیسوں سے تم کو اگر ہے بھوک رہنے دو میری جیب میں روپیہ، مزے میں ہے //7 آخر میں اسکو جانا ہے لوگوں کے پیٹ میں جب تک نہیں بکا ہے، سموسہ مزے میں ہے //8 تھوکا کبھی تو جائیگا نالی میں ایک دن جب تک ہے منہ میں آپکے، گٹکھا مزے میں ہے //9 میں نے سنا ہے بیوی کے بعد از وفات 'راز' سالی کے ساتھ ان دنوں جیجا مزے میں ہے //10 ज़लील-जिसका अपमान हुआ हो,बेइज़्ज़त,अपमानित,तिरस्कृत ज़ार ज़ार-अत्यधिक फूट-फूट कर बाद-अज़-वफ़ात-मृत्यु के बाद

Aurat Ka Aashkar

वैश्या की जरूरत ही आदमी को तब पड़ी,जब उसकी खुद की पत्नी ने उसे ना कहना शुरु कर दिया। खासकर तब, जब औरतों ने अपनी नाजायज मांगों को पूरा कराने के लिए सेक्स को अपना हथियार बनाना और अपने पति को सताना शुरू कर दिया। कड़वी है, पर सच्चाई भी है। हमारा उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है, परंतु सच्चाई को सामने रखना भी परम आवश्यक है। इसीलिए किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची हो तो, हम पहले ही क्षमा मांगते हैं। 'Paavan Teerth'

Ghazal-200

ग़ज़ल - तबीयत फिर, मचलना चाहती है, किसी से वो उलझना चाहती है। मुख़ालिफ़ ताक़तों की साजिशों से, जुबां फिर से फिसलना चाहती है। मुख़ालिफ़=विरोधी अना मेरी जवां होने की ख़ातिर, चुनौती से निखरना चाहती है। अना= स्व, self वजूदों पे दिखे ख़तरे तो जाने, फ़िजा ख़ुुद को बदलना चाहती है। मुसीबत सामने पाई तो समझे, मेरी क़िस्मत सँवरना चाहती है। जो देखीं कोशिशें जीने की तब से, उदासी हाथ मलना चाहती है। सियासी सोच से हुशियार रहना, वो फिर चेहरा बदलना चाहती है। जो देखा जोश बच्चों का तो नई उम्मीद पलना चाहती है।

Aurat ka AASHKAR

कामसूत्र महर्षि वात्स्यायन द्वारा रचित भारत का एक प्राचीन कामशास्त्र ग्रंथ है। यह विश्व की प्रथम यौन संहिता है जिसमें यौन प्रेम के मनोशारीरिक सिद्धान्तों तथा प्रयोग की विस्तृत व्याख्या एवं विवेचना की गई है। वात्स्यायन ने जब कामसूत्र लिखा तब अरेंज्ड मैरिज होती थी और तब फोन,फेसबुक या व्हाट्सऐप भी नहीं थे कि शादी से पहले ही दोनों गुड नाइट स्वीटू वाला मैसेज भेजकर सोएं. हालत तो ये थी कि लड़का लड़की एक दूसरे की शकल भी ढंग से सुहाग रात के दिन ही देखते थे. स दिन बालक क्या करे, क्या न करे,इसको लेकर गुरु वात्स्यायन ने कुछ ज्ञान दिया है. लिया जाए. क्योंकि कामसूत्र आज भी काम का है. 1. शादी के बाद के पहले तीन दिन पति और पत्नी बिस्तर पे न सो कर ज़मीन पर सोयें. कम्फर्ट से दूर रहें और सेक्स का कीड़ा दिमाग में न आने दें. 2. तीन दिनों तक बिना नमक का खाना खाएं. 3. अगले सात दिनों तक पति और पत्नी एक दूसरे को समझने में बिताएं. इसके लिए वो साथ में म्यूजिक सुनें, खाना साथ में खाएं और शादी में आये मेहमानों से मिलें. इससे उनका रिश्ता मजबूत होगा. 4. दसवीं रात को पुरुष स्त्री की तरफ हौले- हौले बढ़े. वात्स्यायन की मानें तो औरतें नाज़ुक स्वभाव की होती हैं, और सेक्स में किसी भी तरह की जल्दबाजी से डर सकती हैं. ऐसी स्थिति में शायद वो सेक्स से हमेशा डरती रहें. इसलिए पुरुष को पहले उसे गले लगा कर उसे कम्फर्टेबल फील कराना चाहिए. 5. पत्नी अगर गले लगने के लिए मान जाए, तो हसबैंड को उसे पान खिलाना चाहिए. उसके पान खाने का अर्थ होगा कि पत्नी भी सेक्स करना चाहती है. अगर पत्नी पान न खाए तो पति को रिक्वेस्ट करनी चाहिए, और हाथ जोड़ने से ले कर घुटने टेकने की नौबत आए तो वो भी कर देना चाहिए. पर कभी पत्नी के साथ जबरन शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए. 6. अगर पत्नी मान जाए तो उसे चूम कर उससे पूछना चाहिए कि क्या वो पति के साथ सेक्स करना चाहती है. पति को तब तक कोशिश करनी चाहिए जब तक वो सर हिला कर हां न कह दे. वात्स्यायन का मानना है कि जो पति पत्नी का ध्यान रखता है, और उसकी बातें मानता है, पत्नी उसी के साथ सेक्स करने में कॉन्फिडेंट फील करती हैं. इग्नोर करने वाले पतियों की पत्नियां जानवर समझती हैं जो केवल सेक्स का भूखा हो. आप सभी से निबेदन है की कम्युनिटी को ध्यान में रख के अपने बिचार को रखे फोटो भी मर्यादा के अंदर होनी चाहिए धन्यवाद See less

Mushaira-tahreer(Ghazal)-200

ग़ज़ल अर्ज़ किया है- बाग़पैरा क्या करे गुल ही न माने बात जब शम्स का रुत्बा नहीं कुछ, हो गई हो रात जब //१ बाँध देना गाँठ में तुम गाँव की आबोहवा शह्र के नक्शे क़दम पर चल पड़ें देहात जब //२ दोस्त मंसूबा बनाऊं मैं भी तुझसे वस्ल का तोड़ दें तेरी हया को मेरे इक़दामात जब //३ इक किरन सी फूटने को आ गई बामे उफ़ुक़ रौशनी की जुस्तजू में खो गये ज़ुल्मात जब //४ देखिए फिर से समंदर अब्र कब पैदा करे आसमां में क्या मिले वो हो चुकी बरसात जब //५ किसलिए बीते दिनों की हाय तौबा कीजिए हाल में ख़ुद हों नुमायाँ माज़ी के असरात जब //६ करवटें कर लीजे अपनी लुत्फ़े फ़र्दा की तरफ़ ख्व़ाब में आके डराए चेहरा-ए-माफ़ात जब //७ क्या करें घोड़े पियादे, क्या करें अब फ़ील भी खा चुके शतरंज की बाज़ी में शह और मात जब //८ है हमारी ज़िंदगानी गर्दिशे अय्याम सी वस्ल का इम्काँ भी क्या, हों हिज्र में दिन रात जब //९ ख़ुद में पैदा कीजिए इक कैफ़ियत तस्लीम की शौक़-ए-दिल का साथ ना दें बेवफ़ा हालात जब //१० आ भी जा आग़ोश में, लग जा हमारे सीने से कर न तू वादा खिलाफ़ी हो गई है बात जब //११ हो इशाअत हम पे भी नज़रे इनायत हुस्न की 'राज़' की हाज़िर जवाबी से मिटें ख़द्शात जब //१२ باغ پیرا کیا کرے گل ہی نہ مانع بات جب شمس کا رتبہ نہیں کچھ، ہو گئی ہو رات جب //١ باندھ دینا گانٹھ میں تم گاؤں کی آب و ہوا شہر کے نقشے قدم پر چل پڑیں دیہات جب //٢ دوست منصوبہ بناؤں میں بھی تجھ سے وصل کا توڑ دیں تیری حیا کو میرے اقدامات جب //٣ اک کرن سی پھوٹنے کو آ گئی بامے افق روشنی کی جستجو میں کھو گئے ظلمات جب //٤ دیکھیے پھر سے سمندر ابر کب پیدا کرے آسماں میں کیا ملے وہ ہو چکی برسات جب //٥ کس لئے بیتے دنوں کی ہائے توبا کیجئے حال میں خود ہوں نمایاں ماضی کے اثرات جب //٦ کروٹیں کر لیجے اپنی لتفے فردا کی طرف کھواب میں آکے ڈرائے چہرۂ مافات جب //٧ کیا کریں گھوڑے پیادے، کیا کریں اب فیل بھی کھا چکے شطرنج کی بازی میں شہ اور مات جب //٨ ہے ہماری زندگانی گردشے ایام سی وصل کا امکاں بھی کیا، ہوں ہجر میں دن رات جب //٩ خود میں پیدا کیجئے اک کیفیت تسلیم کی شوق دل کا ساتھ نا دیں بےوفا حالات جب //١٠ آ بھی جا آغوش میں، لگ جا ہمارے سینہ سے کر نہ تو وعدہ خلافی ہو گئی ہے بات جب //١١ ہو اشاعت ہم پے بھی نظر عنایت حسن کی شاعر) शब्दार्थ- ------------ बाग़पैरा- माली, बाग़ की देखभाल करने वाला; शम्स- सूर्य; वस्ल- मिलन; इक्दामात- अग्रसरता, पहल; बामे उफ़ुक़- क्षितिज के छज्जे पर; जुस्तजू- तलाश; ज़ुल्मात- अँधेरे; अब्र- बादल; नुमायाँ- प्रकट; माज़ी- अतीत; असरात- असर का बहुवचन; लुत्फे फ़र्दा- आने वाला कल का आनद; माफ़ात- जो व्यतीत हो हो; गर्दिशे अय्याम- दिन रात का चक्कर; कैफ़ियत- मन की हर्षित दशा; तस्लीम- स्वीकार करना; इम्काँ- संभावना; तस्लीम- स्वीकार करना; इशाअत- प्रकटन; ख़द्शात- शंकाएँ

Rasleela Nathdwara Style | Twin Eternals - Matter & Energy

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