ग़ज़ल दोस्तो,पेशे ख़िदमत है मेरी नयी ग़ज़ल,बराए मेहरबानी मुलाहिज़ा फ़रमाएँ,अर्ज़ किया है- क्या इसमें छिपा कुछ नया दस्तूर रखा है बच्चे का लक़ब किसलिए तैमूर रखा है //१ کیا اسمیں چھپا کچھ نیا دستور رکھا ہے بچے کا لقب کس لئے تیمور رکھا ہے//۱ मग़रिब के तमद्दुन के लिए क्या है ये वहशत क्या अक्से फ़िरंगी में जुदा नूर रखा है //२ مغرب کے تمدّن کے لیے کیا ہے یہ وحشت کیا عَکْس فرنگی میں جُدا نور رکھا ہے//۲ हैं संगे तशद्दुद पे टिके क़ौमी अक़ीदे नफ़रत ने हक़ीक़त से जिन्हें दूर रखा है //३ ہیں سنگِ تشدّد پے ٹکے قومی عقیدے نفرت نے حقیقت سے جنہیں دور رکھا ہے//۳ क्या दर्से बक़ा ऐसे पुजारी से मिलेगा जिसमें न कोई ताब न ही नूर रखा है //४ کیا درسِ بقا ایسے پُجاری سے ملےگا جس میں نہ کوئی تاب نہ ہی نور رکھا ہے//۴ बस एक मुलाक़ात में दिल हो गया बेज़ार क्या ख़ाक मज़ा वस्ल में भरपूर रखा है //५ بس ایک مُلاقات میں دِل ہو گیا بیزار کیا خاک مزا وصل میں بھرپو رکھا ہے//۵ उस तक चलो लेकर हमें ऐ बूद की हसरत जिसके नशे ने रूह को मसरूर रखा है //६ اُس تک چلو لیکر ہمیں اے بود کی حسرت جسکے نشے نے روح کو مسرور رکھا ہے//۶ नज़दीक से देखा तो वाँ कीड़ा था कोई 'राज़' हम सोचते थे शाख़ पे अंगूर रखा है //७ نزدیک سے دیکھا تو واں کیڑا تھا کوئی راز ہم سوچتے تھے شاخ پے انگور رکھا ہے//۷ राज़_नवादवी راز_نوادوی (ایک انجان شاعر) ●दस्तूर- प्रथा या रीति, परंपरा, रस्म, रीति रिवाज, परिपाटी ●लक़ब- उपनाम, उपाधि, ख़िताब, पदवी, ऐसा नाम जिसमें उस व्यक्ति के गुणों का पता चले, गुण, योग्यता अथवा पदसूचक नाम ●मग़रिब- पश्चिम, पश्चिम के देश ●तमद्दुन- संस्कृति, सभ्यता ●वहशत- पागलपन ●अक्से फ़िरंगी- विदेशी चेहरा, प्रतिबिंब, छाया, आकृति ●नूर- प्रकाश ●संगे तशद्दुद- हिंसा रूपी पत्थर ●क़ौमी अक़ीदे- सामुदायिक, समुदाय आधारित विश्वास ●दर्से बक़ा- अनश्वरता का पाठ ●इल्म- ज्ञान ●ताब- चमक, आभा ●बेज़ार- परांगमुख, विमुख ●वस्ल- मिलन ●बूद की हसरत- अस्तित्व में आने या बने रहने की चाह ●मसरूर- प्रफुल्ल, हर्षित, आनंदित, ख़ुश, उल्लसित ●वाँ- वहाँ