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A personal blog by Pavan Kumar "Paavan"
A personal blog by Pavan Kumar "Paavan"
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1:16 PM
Article Published by : PAVAN KUMAR SHARMA,' PAAVAN &MAAHIR
माँ कामाख्या योनि स्तोत्र एवं कवच 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ वामाचार पूजा में कामख्या योनि स्तोत्र एवं कवच पाठ माता कामख्या देवी की आराधना का अतिसुगम एवं शक्तिशाली पाठ है। सौभाग्य एवं मनोकामना पूर्ति की इच्छा रखने वाले साधक इसका नित्य पाठ करने से कुछ ही समय मे आश्चर्यजनक फल पा सकते है। इसका नित्य यथा सामर्थ्य अधिक से अधिक पाठ करने से फल शीघ्र मिलने की सम्भवना बढ़ती है। इसका पाठ निष्काम भाव से ही करें सकाम भाव से पाठ करने के लिये श्रीविद्या दीक्षित होना आवश्यक है तथा इसके नियम भी कठिन होते है। साधक पाठ करने से पहले माता का मणिपुर चक्र में नीचे दिए श्लोकों को पढ़ते हुए मानसिक ध्यान करके पाठ आरम्भ कर सकते है पाठ पूर्ण होने के बाद मानसिक रूप से ही पाठ को अपने गुरु को समर्पण कर आसन के आगे जल छोड़कर उसे माथे पर लगाकर प्राणाम करके एक पाठ सिद्ध कुंजिका के बाद देव्यापराध क्षमापन स्तोत्र का पाठ करें तो माता पाठ की त्रुटियों को क्षमा करके इच्छित फल प्रदान करती है। मां कामाख्या योनि स्त्रोत 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ ॐभग-रूपा जगन्माता सृष्टि-स्थिति-लयान्विता । दशविद्या - स्वरूपात्मा योनिर्मां पातु सर्वदा ।।१।। कोण-त्रय-युता देवि स्तुति-निन्दा-विवर्जिता । जगदानन्द-सम्भूता योनिर्मां पातु सर्वदा ।।२।। कात्र्रिकी - कुन्तलं रूपं योन्युपरि सुशोभितम् । भुक्ति-मुक्ति-प्रदा योनि: योनिर्मां पातु सर्वदा ।।३।। वीर्यरूपा शैलपुत्री मध्यस्थाने विराजिता । ब्रह्म-विष्णु-शिव श्रेष्ठा योनिर्मां पातु सर्वदा ।।४।। योनिमध्ये महाकाली छिद्ररूपा सुशोभना । सुखदा मदनागारा योनिर्मां पातु सर्वदा ।।५।। काल्यादि-योगिनी-देवी योनिकोणेषु संस्थिता । मनोहरा दुःख लभ्या योनिर्मां पातु सर्वदा ।।६।। सदा शिवो मेरु-रूपो योनिमध्ये वसेत् सदा । वैवल्यदा काममुक्ता योनिर्मां पातु सर्वदा ।।७।। सर्व-देव स्तुता योनि सर्व-देव-प्रपूजिता । सर्व-प्रसवकत्र्री त्वं योनिर्मां पातु सर्वदा ।।८।। सर्व-तीर्थ-मयी योनि: सर्व-पाप प्रणाशिनी । सर्वगेहे स्थिता योनि: योनिर्मां पातु सर्वदा ।।९।। मुक्तिदा धनदा देवी सुखदा कीर्तिदा तथा । आरोग्यदा वीर-रता पञ्च-तत्व-युता सदा ।।१०।। योनिस्तोत्रमिदं प्रोत्तं य: पठेत् योनि-सन्निधौ । शक्तिरूपा महादेवी तस्य गेहे सदा स्थिता ।।११।। ।। मां कामाख्या देवी कवच।। 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ महादेव उवाच शृणुष्व परमं गुहयं महाभयनिवर्तकम्।कामाख्याया: सुरश्रेष्ठ कवचं सर्व मंगलम्।।यस्य स्मरणमात्रेण योगिनी डाकिनीगणा:।राक्षस्यो विघ्नकारिण्यो याश्चान्या विघ्नकारिका:।।क्षुत्पिपासा तथा निद्रा तथान्ये ये च विघ्नदा:।दूरादपि पलायन्ते कवचस्य प्रसादत:।।निर्भयो जायते मत्र्यस्तेजस्वी भैरवोयम:।समासक्तमनाश्चापि जपहोमादिकर्मसु।भवेच्च मन्त्रतन्त्राणां निर्वघ्नेन सुसिद्घये। महादेव जी बोले-सुरश्रेष्ठ! अर्थ👉 भगवती कामाख्या का परम गोपनीय महाभय को दूर करने वाला तथा सर्वमंगलदायक वह कवच सुनिये, जिसकी कृपा तथा स्मरण मात्र से सभी योगिनी, डाकिनीगण, विघ्नकारी राक्षसियां तथा बाधा उत्पन्न करने वाले अन्य उपद्रव, भूख, प्यास, निद्रा तथा उत्पन्न विघ्नदायक दूर से ही पलायन कर जाते हैं। इस कवच के प्रभाव से मनुष्य भय रहित, तेजस्वी तथा भैरवतुल्य हो जाता है। जप, होम आदि कर्मों में समासक्त मन वाले भक्त की मंत्र-तंत्रों में सिद्घि निर्विघ्न हो जाती है।। कवच पाठ आरम्भ 〰️〰️〰️〰️〰️〰️ ओं प्राच्यां रक्षतु मे तारा कामरूपनिवासिनी।आग्नेय्यां षोडशी पातु याम्यां धूमावती स्वयम्।।नैर्ऋत्यां भैरवी पातु वारुण्यां भुवनेश्वरी।वायव्यां सततं पातु छिन्नमस्ता महेश्वरी।। कौबेर्यां पातु मे देवी श्रीविद्या बगलामुखी।ऐशान्यां पातु मे नित्यं महात्रिपुरसुन्दरी।। ऊध्र्वरक्षतु मे विद्या मातंगी पीठवासिनी।सर्वत: पातु मे नित्यं कामाख्या कलिकास्वयम्।। ब्रह्मरूपा महाविद्या सर्वविद्यामयी स्वयम्।शीर्षे रक्षतु मे दुर्गा भालं श्री भवगेहिनी।। त्रिपुरा भ्रूयुगे पातु शर्वाणी पातु नासिकाम।चक्षुषी चण्डिका पातु श्रोत्रे नीलसरस्वती।। मुखं सौम्यमुखी पातु ग्रीवां रक्षतु पार्वती।जिव्हां रक्षतु मे देवी जिव्हाललनभीषणा।। वाग्देवी वदनं पातु वक्ष: पातु महेश्वरी।बाहू महाभुजा पातु कराङ्गुली: सुरेश्वरी।। पृष्ठत: पातु भीमास्या कट्यां देवी दिगम्बरी।उदरं पातु मे नित्यं महाविद्या महोदरी।। उग्रतारा महादेवी जङ्घोरू परिरक्षतु।गुदं मुष्कं च मेदं च नाभिं च सुरसुंदरी।। पादाङ्गुली: सदा पातु भवानी त्रिदशेश्वरी।रक्तमासास्थिमज्जादीनपातु देवी शवासना।। ।महाभयेषु घोरेषु महाभयनिवारिणी।पातु देवी महामाया कामाख्यापीठवासिनी।। भस्माचलगता दिव्यसिंहासनकृताश्रया।पातु श्री कालिकादेवी सर्वोत्पातेषु सर्वदा।। रक्षाहीनं तु यत्स्थानं कवचेनापि वर्जितम्।तत्सर्वं सर्वदा पातु सर्वरक्षण कारिणी।। इदं तु परमं गुह्यं कवचं मुनिसत्तम।कामाख्या भयोक्तं ते सर्वरक्षाकरं परम्।। अनेन कृत्वा रक्षां तु निर्भय: साधको भवेत।न तं स्पृशेदभयं घोरं मन्त्रसिद्घि विरोधकम्।। जायते च मन: सिद्घिर्निर्विघ्नेन महामते।इदं यो धारयेत्कण्ठे बाहौ वा कवचं महत्।। अव्याहताज्ञ: स भवेत्सर्वविद्याविशारद:।सर्वत्र लभते सौख्यं मंगलं तु दिनेदिने।। य: पठेत्प्रयतो भूत्वा कवचं चेदमद्भुतम्।स देव्या: पदवीं याति सत्यं सत्यं न संशय:।। मांकामाख्या देवी कवच हिन्दी अर्थ 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ कामरूप में निवास करने वाली भगवती तारा पूर्व दिशा में, पोडशी देवी अग्निकोण में तथा स्वयं धूमावती दक्षिण दिशा में रक्षा करें।। नैऋत्यकोण में भैरवी, पश्चिम दिशा में भुवनेश्वरी और वायव्यकोण में भगवती महेश्वरी छिन्नमस्ता निरंतर मेरी रक्षा करें।। उत्तरदिशा में श्रीविद्यादेवी बगलामुखी तथा ईशानकोण में महात्रिपुर सुंदरी सदा मेरी रक्षा करें।। भगवती भगवती कामाख्या के शक्तिपीठ में निवास करने वाली मातंगी विद्या ऊध्र्वभाग में और भगवती कालिका कामाख्या स्वयं सर्वत्र मेरी नित्य रक्षा करें।। ब्रह्मरूपा महाविद्या सर्व विद्यामयी स्वयं दुर्गा सिर की रक्षा करें और भगवती श्री भवगेहिनी मेरे ललाट की रक्षा करें।। त्रिपुरा दोनों भौंहों की, शर्वाणी नासिका की, देवी चंडिका आँखों की तथा नीलसरस्वती दोनों कानों की रक्षा करें।। भगवती सौम्यमुखी मुख की, देवी पार्वती ग्रीवा की और जिव्हाललन भीषणा देवी मेरी जिव्हा की रक्षा करें।। वाग्देवी वदन की, भगवती महेश्वरी वक्ष: स्थल की, महाभुजा दोनों बाहु की तथा सुरेश्वरी हाथ की, अंगुलियों की रक्षा करें।। भीमास्या पृष्ठ भाग की, भगवती दिगम्बरी कटि प्रदेश की और महाविद्या महोदरी सर्वदा मेरे उदर की रक्षा करें।। महादेवी उग्रतारा जंघा और ऊरुओं की एवं सुरसुन्दरी गुदा, अण्डकोश, लिंग तथा नाभि की रक्षा करें।। भवानी त्रिदशेश्वरी सदा पैर की, अंगुलियों की रक्षा करें और देवी शवासना रक्त, मांस, अस्थि, मज्जा आदि की रक्षा करें।। भगवती कामाख्या शक्तिपीठ में निवास करने वाली, महाभय का निवारण करने वाली देवी महामाया भयंकर महाभय से रक्षा करें। भस्माचल पर स्थित दिव्य सिंहासन विराजमान रहने वाली श्री कालिका देवी सदा सभी प्रकार के विघ्नों से रक्षा करें।। जो स्थान कवच में नहीं कहा गया है, अतएव रक्षा से रहित है उन सबकी रक्षा सर्वदा भगवती सर्वरक्षकारिणी करे।। मुनिश्रेष्ठ! मेरे द्वारा आप से महामाया सभी प्रकार की रक्षा करने वाला भगवती कामाख्या का जो यह उत्तम कवच है वह अत्यन्त गोपनीय एवं श्रेष्ठ है।। इस कवच से रहित होकर साधक निर्भय हो जाता है। मन्त्र सिद्घि का विरोध करने वाले भयंकर भय उसका कभी स्पर्श तक नहीं करते हैं।। महामते! जो व्यक्ति इस महान कवच को कंठ में अथवा बाहु में धारण करता है उसे निर्विघ्न मनोवांछित फल मिलता है।। वह अमोघ आज्ञावाला होकर सभी विद्याओं में प्रवीण हो जाता है तथा सभी जगह दिनोंदिन मंगल और सुख प्राप्त करता है। जो जितेन्द्रिय व्यक्ति इस अद्भुत कवच का पाठ करता है वह भगवती के दिव्य धाम को जाता है। यह सत्य है, इसमें संशय नहीं है।। 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️
1:12 PM
Article Published by : PAVAN KUMAR SHARMA,' PAAVAN &MAAHIR
ग़ज़ल- बस'इफ''बट'में ही दिन गँँवाया न कर, तेरा जो तजुर्बा है,जाया न कर। बहुत झूठ बोले,न सच मर सका, हक़ीक़त से नज़रें चुराया न कर। उन्हें तेरी तकलीफ़ देती है सुख, लगे चोट तो तड़फड़ाया न कर। हुई ज़िंदगी जुर्रतों से शुरू, इसे सोच में ही गँवाया न कर। कभी दिल जो टूटा जुड़ेगा नहीं, हसीं ख़्वाब'यूँ ही'दिखाया न कर। सियासत में बातों के मतलब कहाँ? , ये झांसे हैं झांसों में आया न करl गिनीपिग न मुझको समझ दोस्त अब, किया जो न ख़ुद वो सुझाया न कर। ज़हां के ग़मों से नज़र फेर कर, मुहब्बत की ग़ज़लें ही गाया न कर।
1:10 PM
Article Published by : PAVAN KUMAR SHARMA,' PAAVAN &MAAHIR
ग़ज़ल- मुखौटों को लगाना तो,सियासी होशियारी है, अदाकारी पे जनता दिल हमेशा से जो हारी है। विवादित कुछ बयां देते हैं वो,सब सोच के यारो, हमें मुद्दों से भटकाने की ये इक होशियारी है। उचित अवसर के आने तक बचाने के लिए ख़ुद को, रणों को छोड़ने की राह दिखलाता “मुरारी” है। ग़रीबी गर ठहर जाती है लम्बे वक़्त तक,तो फिर, उन्हें लगने ये लगता है,यही क़िस्मत हम!री है। किसी मुर्गे सा मक़्तल में नज़र वो फेर लेता है, नहीं जो जानता आगे उसी की ही तो बारी है। बुझेगी आग भी जब जल चुकेगा फूस यह 'Maahir' बचा है फूस जब तक, बस तभी तक आग जारी है।
1:08 PM
Article Published by : PAVAN KUMAR SHARMA,' PAAVAN &MAAHIR
ग़ज़ल दोस्तो,पेशे ख़िदमत है मेरी नयी ग़ज़ल,बराए मेहरबानी मुलाहिज़ा फ़रमाएँ,अर्ज़ किया है- क्या इसमें छिपा कुछ नया दस्तूर रखा है बच्चे का लक़ब किसलिए तैमूर रखा है //१ کیا اسمیں چھپا کچھ نیا دستور رکھا ہے بچے کا لقب کس لئے تیمور رکھا ہے//۱ मग़रिब के तमद्दुन के लिए क्या है ये वहशत क्या अक्से फ़िरंगी में जुदा नूर रखा है //२ مغرب کے تمدّن کے لیے کیا ہے یہ وحشت کیا عَکْس فرنگی میں جُدا نور رکھا ہے//۲ हैं संगे तशद्दुद पे टिके क़ौमी अक़ीदे नफ़रत ने हक़ीक़त से जिन्हें दूर रखा है //३ ہیں سنگِ تشدّد پے ٹکے قومی عقیدے نفرت نے حقیقت سے جنہیں دور رکھا ہے//۳ क्या दर्से बक़ा ऐसे पुजारी से मिलेगा जिसमें न कोई ताब न ही नूर रखा है //४ کیا درسِ بقا ایسے پُجاری سے ملےگا جس میں نہ کوئی تاب نہ ہی نور رکھا ہے//۴ बस एक मुलाक़ात में दिल हो गया बेज़ार क्या ख़ाक मज़ा वस्ल में भरपूर रखा है //५ بس ایک مُلاقات میں دِل ہو گیا بیزار کیا خاک مزا وصل میں بھرپو رکھا ہے//۵ उस तक चलो लेकर हमें ऐ बूद की हसरत जिसके नशे ने रूह को मसरूर रखा है //६ اُس تک چلو لیکر ہمیں اے بود کی حسرت جسکے نشے نے روح کو مسرور رکھا ہے//۶ नज़दीक से देखा तो वाँ कीड़ा था कोई 'राज़' हम सोचते थे शाख़ पे अंगूर रखा है //७ نزدیک سے دیکھا تو واں کیڑا تھا کوئی راز ہم سوچتے تھے شاخ پے انگور رکھا ہے//۷ राज़_नवादवी راز_نوادوی (ایک انجان شاعر) ●दस्तूर- प्रथा या रीति, परंपरा, रस्म, रीति रिवाज, परिपाटी ●लक़ब- उपनाम, उपाधि, ख़िताब, पदवी, ऐसा नाम जिसमें उस व्यक्ति के गुणों का पता चले, गुण, योग्यता अथवा पदसूचक नाम ●मग़रिब- पश्चिम, पश्चिम के देश ●तमद्दुन- संस्कृति, सभ्यता ●वहशत- पागलपन ●अक्से फ़िरंगी- विदेशी चेहरा, प्रतिबिंब, छाया, आकृति ●नूर- प्रकाश ●संगे तशद्दुद- हिंसा रूपी पत्थर ●क़ौमी अक़ीदे- सामुदायिक, समुदाय आधारित विश्वास ●दर्से बक़ा- अनश्वरता का पाठ ●इल्म- ज्ञान ●ताब- चमक, आभा ●बेज़ार- परांगमुख, विमुख ●वस्ल- मिलन ●बूद की हसरत- अस्तित्व में आने या बने रहने की चाह ●मसरूर- प्रफुल्ल, हर्षित, आनंदित, ख़ुश, उल्लसित ●वाँ- वहाँ
1:04 PM
Article Published by : PAVAN KUMAR SHARMA,' PAAVAN &MAAHIR
ग़ज़ल- भला हम,आप,सब,का चाहती हो, ज़ुबां पे आज बस वो शायरी हो। सुने जो भी,लगे उसको कि जैसे, ग़ज़ल में बात उसकी ही कही हो। ख़ुदा से मे री बस ये इल्तिज़ा है, न मुश्किल में किसी की ज़िन्दगी हो। मेरी कोशिश यही है दोस्तो बस, कि सब की ज़िन्दगी में रोशनी हो। सँभाला होश जब से,बस ये चाहा, जुदा कोई न अपनों से कभी हो, गुजारिश है समय की अब कलम से, ग़ज़ल बस वो लिखूँ जो जागती हो। सुनेगा ग़ौर से तुमको ज़माना, तुम्हारी बात में कुछ बात भी हो। 'माहीर'
12:54 PM
Article Published by : PAVAN KUMAR SHARMA,' PAAVAN &MAAHIR
Who Am I? After retirement, with no job, no routine, and a quiet house echoing with silence… I finally began to discover my true self. Who am I? I built bungalows, raised farmhouses, invested in ventures big and small, yet now, I find myself bound within four simple walls. From bicycle to moped, bike to car, I chased speed and style — but now, I walk slowly, alone, inside my room. Nature smiled and asked, “Who are you, dear friend?” And I replied, “I am... just me.” I’ve seen states, countries, continents, but today, my journeys stretch only from the drawing room to the kitchen. I learned about cultures and traditions, but now, I simply long to understand my own family. Nature smiled again, “Who are you, dear friend?” And I said, “I am... just me.” Once I celebrated birthdays, engagements, weddings in grand style — but today, I count coins to buy vegetables. Once I fed extra bread to cows and dogs, today, even my own meal feels like a challenge. Nature asked once more, “Who are you, dear friend?” And I answered, “I am... just me.” Gold, silver, diamonds, pearls — sleep quietly in lockers. Suits and blazers — hang untouched in wardrobes. But now, I live in soft cotton, simple and free. I once mastered English, French, Hindi — but now, I find comfort in reading my mother tongue. I travelled endlessly for work, and now, I reflect on those profits and losses — measured in memories. I ran businesses, nurtured a family, built many connections, but now, my dearest companion is the kind neighbour next door. I once followed every rule, strived in education — but now I finally see what truly matters. After all of life’s highs and lows, in a quiet moment, my soul whispered back to me. Enough now… Get ready, O Traveller… It’s time to prepare for the final journey… Nature smiled gently, “Who are you, dear friend?” And I replied: “O Nature, You are me… And I am you. Once I soared in the skies, Now I touch the earth with grace. Forgive me… Give me one more chance to live… Not as a money-making machine, But as a true human being — With values, With family, With love.” To my all family members & ‘Friends' , wishing you love, strength, and peace.Pavan Sharma
12:51 PM
Article Published by : PAVAN KUMAR SHARMA,' PAAVAN &MAAHIR
वो दिल कहां से लाऊं,जो चाय के कप प्लेट्स के खनकने की आवाज भुला दे! पत्थर तो हज़ारों ने मारे थे मुझे,लेकिन जो दिल पर लगा, वो एक दोस्त का मारा हुआ पत्थर था! पहले ज़माना था जब दिन भर चाय के बर्तन खनकते थे और हमारा ड्राइंग रूम दोस्तों के कहकहों से गूंजता था। याद है वे दिन, जब अजमेर में हर रात 10 बजे हम सारे दोस्त रेलवे स्टेशन के सामने क्लॉक टावर थाने के पास इकट्ठा होते थे। वहाँ से रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर चाय की चुस्कियाँ लेते, घूमते-घूमते गप्पे मारते, और दुनिया जहान की बातें करते। (उसे जमाने में चर्चा का टॉपिक आज की तरह मोदी का पक्ष विपक्ष नहीं होता था। कोई भी मित्र किसी भी विषय पर पूर्वाग्रह दूराग्रह से ग्रस्त नहीं होता था।) रात के 2 बजे तक ये सिलसिला चलता, और मज़े की बात? इसमें किसी दोस्त की गैरहाजिरी न के बराबर होती थी 100% अटेंडेंस! लेकिन अब? अब तो हाल ये है कि किसी दोस्त या रिश्तेदार का फोन आता है, तो मन में पहला ख्याल यही आता है, “कहीं PNB से एजुकेशन लोन की बात तो नहीं?” दोस्ती का मतलब जैसे ज़रूरत बनकर रह गया है। क्या हमने कभी सोचा कि सच्ची दोस्ती हमारे जीवन का कितना बड़ा खज़ाना है? आजकल दोस्ती का स्थान “नेटवर्क” शब्द ने ले लिया है। नेटवर्क, यानी बहुत से लोगों से ऐसी जान-पहचान जिसमें आप उनके लाभ के लिए काम करेंगे और वो आपके लिए। इसमें निस्वार्थ दोस्ती का स्थान कहाँ? अब दोस्ती वो नहीं रही जो बिना किसी स्वार्थ के दिल से दिल तक जाती थी। अब तो लोग “कनेक्शन्स” बनाते हैं, लिंक्डइन पर फॉलो करते हैं, और कॉफी मीटिंग्स में बिजनेस कार्ड्स बाँटते हैं। लेकिन क्या ये नेटवर्किंग उस गर्मजोशी की जगह ले सकती है, जो अजमेर की रातों में चाय की चुस्कियों और बेपरवाह गपशप में थी? हमारी ज़िंदगी में दोस्ती धीरे-धीरे कहीं खो सी रही है। ज्यादातर लोग अपने बीवी बच्चों और अधिक से अधिक 'डॉग' तक सीमित रह गए हैं। एक अमेरिकी सर्वे के मुताबिक, 1990 से अब तक “कोई करीबी दोस्त नहीं” कहने वालों की संख्या चार गुना बढ़ गई है। भारत में भले ही कोई औपचारिक सर्वे न हो, लेकिन शहरी ज़िंदगी को देखकर लगता है कि हम भी उसी राह पर हैं। ऑफिस, ट्रैफिक, मोबाइल स्क्रीन, और पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के बीच हमने दोस्तों के लिए वक्त निकालना लगभग छोड़ दिया है। पहले गली-मोहल्ले में शाम को क्रिकेट, चाय की टपरी पर गपशप, या त्योहारों पर दोस्तों का जमावड़ा आम था। आज हम अकेले बैठकर सोशल मीडिया स्क्रॉल करते हैं, और दोस्ती व्हाट्सएप स्टेटस तक सिमट गई है। सच्चे दोस्त सिर्फ हंसी-मज़ाक का बहाना नहीं, बल्कि हमारी ज़िंदगी का आधार हैं। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के 80 साल के एक अध्ययन में साफ कहा गया है कि जीवन में खुशी और सेहत का सबसे बड़ा स्रोत धन या करियर की सफलता नहीं, बल्कि करीबी रिश्ते और दोस्ती है। जब आपका दोस्त आपकी बात सुनता है, बिना जज किए सलाह देता है, या बस आपके साथ हंसता है, तो तनाव अपने आप कम हो जाता है। एक अच्छा दोस्त डिप्रेशन और अकेलेपन से लड़ने में सबसे बड़ा सहारा होता है। शोध बताते हैं कि सामाजिक अलगाव से हृदय रोग और डिमेंशिया का खतरा बढ़ता है, जो रोज़ 15 सिगरेट पीने जितना नुकसानदायक है। दोस्तों के साथ समय बिताने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है और इम्यूनिटी मज़बूत होती है। त्योहारों पर दोस्तों के साथ मस्ती, रात को लंबी गपशप, या एक साथ ट्रिप प्लान करना – ये वो पल हैं जो ज़िंदगी को यादगार बनाते हैं। पहले दोस्ती अपने आप बन जाती थी – स्कूल, कॉलेज, मोहल्ले, या धार्मिक आयोजनों में। लेकिन अब ज़िंदगी की भागदौड़ में दोस्ती को वक्त देना एक सचेत प्रयास मांगता है। पहले लोग मंदिर, गुरुद्वारे, या सामुदायिक आयोजनों में मिलते थे; अब हम अपने फोन और पालतू जानवरों में ज्यादा व्यस्त हैं। हां, पालतू जानवर! मेरे कई दोस्तों ने अपने डॉगी की सैर के चक्कर में मिलना-जुलना छोड़ दिया है। बॉनी वेयर की किताब में एक बात दिल को छू जाती है: “काश मैं अपने दोस्तों के संपर्क में रहता।” ये पछतावा हमें आज से सबक लेने की याद दिलाता है। दोस्ती में समय, मेहनत, और सच्चाई चाहिए। एक फोन कॉल, एक छोटी-सी मुलाकात, या बस एक मैसेज – ये छोटे-छोटे कदम दोस्ती को ज़िंदा रख सकते हैं। दोस्ती अब हमारे रोज़मर्रा का हिस्सा नहीं रही; ये अब तभी संभव है जब बाकी ज़िम्मेदारियां पूरी करने के बाद वक्त बचे। लेकिन दोस्ती को विलासिता नहीं, ज़रूरत बनाएं। अपने दोस्तों को समय दें – उनके साथ कॉफी पीएं, पुरानी यादें ताज़ा करें, या एक छोटा-सा गेट-टुगेदर प्लान करें। माफ करें, भूलें, और ज़रूरत पड़े तो माफी मांग लें। साथ मिलकर यात्राएं प्लान करें, हंसी-मज़ाक करें, और यादें बनाएं। जैसा कि मिर्ज़ा ग़ालिब ने कहा, “दोस्तों के साथ जी लेने का मौका दे दे ऐ खुदा… तेरे साथ तो मरने के बाद भी रह लेंगे” तो आज ही अपने दोस्त को फोन करें, मिलने का प्लान बनाएं, मग के बजाय कप प्लेट्स में चाय पीने पिलाने का सिलसिला फिर से शुरू करें और अपनी ज़िंदगी में दोस्ती का रंग फिर से भरें। चलते चलते व्हाट्सएप के फोर्वेडेड मैसेजज को पर्सनल कॉल का विकल्प न बनाएं।
12:46 PM
Article Published by : PAVAN KUMAR SHARMA,' PAAVAN &MAAHIR
19 जुलाई / जन्मदिवस अमर शहीद मंगल पाण्डे अंग्रेजी शासन के विरुद्ध चले लम्बे संग्राम का बिगुल बजाने वाले पहले क्रान्तिवीर मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई 1827 ग्राम नगवा (बलिया, उत्तर प्रदेश) में हुआ था। युवावस्था में ही वे सेना में भर्ती हो गये थे। उन दिनों सैनिक छावनियों में गुलामी के विरुद्ध आग सुलग रही थी। अंग्रेज जानते थे कि हिन्दू गाय को पवित्र मानते हैं, जबकि मुसलमान सूअर से घृणा करते हैं। फिर भी वे सैनिकों को जो कारतूस देते थे, उनमें गाय और सूअर की चर्बी मिली होती थी। इन्हें सैनिक अपने मुँह से खोलते थे। ऐसा बहुत समय से चल रहा था; पर सैनिकों को इनका सच मालूम नहीं था। मंगल पांडे उस समय बैरकपुर में 34 वीं हिन्दुस्तानी बटालियन में तैनात थे। वहाँ पानी पिलाने वाले एक हिन्दू ने इसकी जानकारी सैनिकों को दी। इससे सैनिकों में आक्रोश फैल गया। मंगल पांडे से रहा नहीं गया। 29 मार्च, 1857 को उन्होंने विद्रोह कर दिया। एक भारतीय हवलदार मेजर ने जाकर सार्जेण्ट मेजर ह्यूसन को यह सब बताया। इस पर मेजर घोड़े पर बैठकर छावनी की ओर चल दिया। वहां मंगल पांडे सैनिकों से कह रहे थे कि अंग्रेज हमारे धर्म को भ्रष्ट कर रहे हैं। हमें उसकी नौकरी छोड़ देनी चाहिए। मैंने प्रतिज्ञा की है कि जो भी अंग्रेज मेरे सामने आयेगा, मैं उसे मार दूँगा। सार्जेण्ट मेजर ह्यूसन ने सैनिकों को मंगल पांडे को पकड़ने को कहा; पर तब तक मंगल पांडे की गोली ने उसका सीना छलनी कर दिया। उसकी लाश घोड़े से नीचे आ गिरी। गोली की आवाज सुनकर एक अंग्रेज लेफ्टिनेण्ट वहाँ आ पहुँचा। मंगल पांडे ने उस पर भी गोली चलाई; पर वह बचकर घोड़े से कूद गया। इस पर मंगल पांडे उस पर झपट पड़े और तलवार से उसका काम तमाम कर दिया। लेफ्टिनेण्ट की सहायता के लिए एक अन्य सार्जेण्ट मेजर आया; पर वह भी मंगल पांडे के हाथों मारा गया। तब तक चारों ओर शोर मच गया। 34 वीं पल्टन के कर्नल हीलट ने भारतीय सैनिकों को मंगल पांडे को पकड़ने का आदेश दिया; पर वे इसके लिए तैयार नहीं हुए। इस पर अंग्रेज सैनिकों को बुलाया गया। अब मंगल पांडे चारों ओर से घिर गये। वे समझ गये कि अब बचना असम्भव है। अतः उन्होंने अपनी बन्दूक से स्वयं को ही गोली मार ली; पर उससे वे मरे नहीं, अपितु घायल होकर गिर पड़े। इस पर अंग्रेज सैनिकों ने उन्हें पकड़ लिया। अब मंगल पांडे पर सैनिक न्यायालय में मुकदमा चलाया गया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं अंग्रेजों को अपने देश का भाग्यविधाता नहीं मानता। देश को आजाद कराना यदि अपराध है, तो मैं हर दण्ड भुगतने को तैयार हूँ।’’ न्यायाधीश ने उन्हें फाँसी की सजा दी और इसके लिए 18 अप्रैल का दिन निर्धारित किया; पर अंग्रेजों ने देश भर में विद्रोह फैलने के डर से घायल अवस्था में ही 8 अप्रैल, 1857 को उन्हें फाँसी दे दी। बैरकपुर छावनी में कोई उन्हं फाँसी देने को तैयार नहीं हुआ। अतः कोलकाता से चार जल्लाद जबरन बुलाने पड़े। मंगल पांडे ने क्रान्ति की जो मशाल जलाई, उसने आगे चलकर 1857 के व्यापक स्वाधीनता संग्राम का रूप लिया। यद्यपि भारत 1947 में स्वतन्त्र हुआ; पर उस प्रथम क्रान्तिकारी मंगल पांडे के बलिदान को सदा श्रद्धापूर्वक स्मरण किया जाता है।
12:44 PM
Article Published by : PAVAN KUMAR SHARMA,' PAAVAN &MAAHIR
कुत्ते पाले हैं मैंने। बारी बारी लगभग दस दस साल एक फीमेल डाबरमेन और एक पामेरियन डॉग घर मे रहे और फिर कुछ महीनों तक एक बच्चा बीगल साथ में रहा। कुत्तों की इतने दिन की संगत के बाद मेरी राय यह कि आदमी को कुत्ते पालने से परहेज करना चाहिए। इस बात से इनकार नही कि वो आपसे प्यार करते है पर इनका प्यार अग्निसाक्षी के नाना पाटेकर टाईप का होता है। तुम किसी और को चाहोगी तो मुश्किल होगा जैसा। आप किसी और से प्यार जताएँगे तो ये गुर्राएँगे ।कोई आप के नज़दीक आना चाहेगा तो ये नाराज़ होंगे। ये हों तो आपका कहीं आना जाना मुश्किल। आप कहीं गए तो ये देवदास के रोल मे घुस जाएँगे। खाना पीना छोड़ देगें। टसुए बहाएँगे। आप जिनके भरोसे छोड़ आएँ है उसे,उसका खाना खराब कर देगें। और कुत्ते से दूर रहकर आपके हाल भी बेहाल होंगे,चाहे आप रामेश्वर मे मोक्ष की कामना कर रहे हों या गोवा मे सुंदरियाँ ताड़ रहे हों ,कुत्ता आपके मन मे घुसा रहेगा और आप कुछ नही कर पाएंगे। और आप इस गलतफहमी मे मत रहिए कि आपने कुत्ता पाला है। दरअसल उसने आपको पाला हुआ होता है। सुबह शाम टहलना होता है उसे। सुबह तेज बारिश हो रही है। खतरनाक किस्म की ठंड है। कोहरा छाया हुआ है।आप रात को देर से सोए हैं। तबीयत ठीक नही लग रही आपको ,आप बिस्तर मे घुसे रहना चाहते है। पर आपका कुत्ता सुबह छह बजते ही आपकी छाती पर चढ़ बैठेगा। आप चाहे या न चाहे आपको उसकी बेल्ट पकड़कर कॉलोनी पार्क सड़कों पर टहलना ही पड़ेगा। आप नही टहलाते कुत्ते को फिर,वो आपको टहलता है ,वो जिधर जाना चाहे जाता है और आप उसके पीछे पीछे घिसटते है।फिर कुत्ते को नहलाना धुलाना,मना मना कर खाना खिलाना ऐसे काम जैसे आपने एक और बच्चा पैदा कर लिया हो और मुश्किल यह भी कि यह बच्चा कभी बड़ा नहीं होता। और फीमेल डॉग पालना तो और बवाल ए जान। उसके बड़े होते ही मोहल्ले शहर के तमाम कुत्ते, लार टपकाते हुए आपके घर के आसपास मंडराने लगते है। फीमेल डॉग को हर कुत्ता पसंद आ जाता है और उसकी चरित्र रक्षा के प्रबंध करने मे आपकी नींदे हराम हो जाती है।आप झुंझलाते है। नाराज़ होते है ,पैर पटकते है और फिर हार जाते है।आपकी डॉगी आपके हर पहरेदार को मात दे देती है। हर चारदीवारी फलांग जाती है। माँ बनती है। दस बारह छोटे छोटे पिल्लों के नाना बनते है आप और उन्हें ठिकाने लगाने में आपकी अपनी नानी मर जाती है। और फिर कुत्ता किसी को न काटे तो वो काहे का कुत्ता। आपका कुत्ता किसी को काट ले। खरोंच दे तो इससे बडी आफत कोई दूसरी नही। जिसे काटा खरोंचा हो आपके कुत्ते ने उससे विनती कीजिए आप। लड़िये झगड़िए मनाइए उसे। उसका इलाज करवाइए। और जब ये सब करते है आप तो और कुछ करने लायक़ नही रह जाते। कुत्ता यदि पड़ोसी के लॉन में पेशाब न करे तो उसका कुत्ता होना गिना नहीं जाता। ऐसे में कुत्ते पालने वाले को पड़ोसी गालियाँ देते ही है चाहे वो मन ही मन दी गई हो। कुत्ता पालने वाला आदमी कुत्ते का बंधक होता है ,कुत्ता उसकी दिनचर्या निर्धारित करता है और जब तक जिंदा रहता है आदमी को उसका गुलाम होकर रहना पड़ता है। उससे कुत्तों की गंध आने लगती है ,दूसरों के कुत्ते भी उसे देख पूंछ हिलाने लगते है। वो फिर कुत्तो की ही दुनिया मे रहता है और दूसरे लोग उससे मिलने मे कतराते है। और फिर जब कुत्ता मरता है तो ऐसा लगता है कि घर का कोई मेंबर मर गया हो। सन्नाटा छा जाता है घर मे। आप उदास होते है,मातम मनाते है और फिर खुद से ,अपनी बीबी से,बच्चों से,आने जाने वालो से बस कुत्ते की बात करते है।कसम खाते है कि अब कभी कुत्ता नही पालेंगे और फिर कुछ दिनों महीनों बाद एक दूसरा कुत्ता आपके घर मे होता है। कुत्ता पालना आफत है। जी का जंजाल है।कुत्ते पालने से बचना चाहिए आदमी को। कुत्तों से प्यार करना अपने अपहरणकर्ता के प्रेम में पड़ जाने जैसा है। कुत्तों से प्यार करने का बहुत मन हो तो पड़ोसी या किसी दोस्त के कुत्ते से बतिया कर,सहला कर संतोष कर लेना चाहिए। यह सलाह इसलिए क्योंकि हम कुत्ता पाल चुके और अब कुत्तों से दूर रहते है। 'Paavan Teerth'
12:42 PM
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1 अगस्त/पुण्यतिथि लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक का जन्म महाराष्ट्र के कोंकण प्रदेश (रत्नागिरि) के चिक्कन गांव में 23 जुलाई 1856 को हुआ था। इनके पिता गंगाधर रामचंद्र तिलक एक धर्मनिष्ठ ब्राह्मण थे। अपने परिश्रम के बल पर शाला के मेधावी छात्रों में बाल गंगाधर तिलक की गिनती होती थी। वे पढ़ने के साथ-साथ प्रतिदिन नियमित रूप से व्यायाम भी करते थे, अतः उनका शरीर स्वस्थ और पुष्ट था। 1879 में उन्होंने बी.ए. तथा कानून की परीक्षा उत्तीर्ण की। घरवाले और उनके मित्र संबंधी यह आशा कर रहे थे कि तिलक वकालत कर धन कमाएंगे और वंश के गौरव को बढ़ाएंगे, परंतु तिलक ने प्रारंभ से ही जनता की सेवा का व्रत धारण कर लिया था। परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने अपनी सेवाएं पूर्ण रूप से एक शिक्षण संस्था के निर्माण को दे दीं। सन् 1880 में न्यू इंग्लिश स्कूल और कुछ साल बाद फर्ग्युसन कॉलेज की स्थापना की। तिलक का यह कथन कि 'स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा' बहुत प्रसिद्ध हुआ। लोग उन्हें आदर से 'लोकमान्य' नाम से पुकार कर सम्मानित करते थे। उन्हें हिन्दू राष्ट्रवाद का पिता भी कहा जाता है। लोकमान्य तिलक ने जनजागृति का कार्यक्रम पूरा करने के लिए महाराष्ट्र में गणेश उत्सव तथा शिवाजी उत्सव सप्ताह भर मनाना प्रारंभ किया। इन त्योहारों के माध्यम से जनता में देशप्रेम और अंगरेजों के अन्यायों के विरुद्ध संघर्ष का साहस भरा गया। तिलक के क्रांतिकारी कदमों से अंगरेज बौखला गए और उन पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलाकर छ: साल के लिए 'देश निकाला' का दंड दिया और बर्मा की मांडले जेल भेज दिया गया। इस अवधि में तिलक ने गीता का अध्ययन किया और गीता रहस्य नामक भाष्य भी लिखा। तिलक के जेल से छूटने के बाद जब उनका गीता रहस्य प्रकाशित हुआ तो उसका प्रचार-प्रसार आंधी-तूफान की तरह बढ़ा और जनमानस उससे अत्यधिक आंदोलित हुआ। तिलक ने मराठी में 'मराठा दर्पण व केसरी' नाम से दो दैनिक समाचार पत्र शुरू किए जो जनता में काफी लोकप्रिय हुए। जिसमें तिलक ने अंग्रेजी शासन की क्रूरता और भारतीय संस्कृति के प्रति हीनभावना की बहुत आलोचना की। उन्होंने ब्रिटिश सरकार को भारतीयों को तुरंत पूर्ण स्वराज देने की मांग की, जिसके फलस्वरूप और केसरी में छपने वाले उनके लेखों की वजह से उन्हें कई बार जेल भेजा गया। तिलक अपने क्रांतिकारी विचारों के लिए भी जाने जाते थे। ऐसे भारत के वीर स्वतंत्रता सेनानी का निधन 1 अगस्त 1920 को मुंबई में हुआ।
12:41 PM
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29 जुलाई/जन्मदिन जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा जे॰आर॰डी॰ टाटा का जन्म 29 जुलाई 1904 पेरिस, फ्रांस मे हुआ। वे रतनजी दादाभाई टाटा और उनकी फ्रांसीसी पत्नी सुज़ेन्न ब्रीरे (en:Suzanne Briere) के पांच संतानो मे से दुसरे थे। जेआरडी टाटा वायुयान उद्योग और अन्य उद्योगो के अग्रणी थे। 10 फरवरी 1929 को टाटा ने भारत में जारी किया गया पहला पायलट लाइसेंस प्राप्त किया। सन् 1932 में उन्होंने भारत की पहली वाणिज्यिक एयरलाइन, टाटा एयरलाइंस की स्थापना की जो बाद में वर्ष 1946 में भारत की राष्ट्रीय एयरलाइन , एयर इंडिया बनी। बाद में उन्हें भारतीय नागर विमानन के पिता के रूप में जाना जाने लगा। सन् 1925 में वे एक अवैतनिक प्रशिक्षु के रूप में टाटा एंड संस में शामिल हो गए।वर्ष 1938 में उन्हें भारत के सबसे बड़े औद्योगिक समूह टाटा एंड संस का अध्यक्ष चुना गया। दशकों तक उन्होंने स्टील, इंजीनियरिंग, ऊर्जा, रसायन और आतिथ्य के क्षेत्र में कार्यरत विशाल टाटा समूह की कंपनियों का निर्देशन किया। वह अपने व्यापारिक क्षेत्र में सफलता और उच्च नैतिक मानकों के लिए बहुत प्रसिद्ध थे। उनकी अध्यक्षता में टाटा समूह की संपत्ति $ 1000 लाख से बढ़कर 5 अरब अमरीकी डालर हो गयी। उन्होंने अपने नेतृत्व में 14 उद्यमों के साथ शुरूआत की थी ,जो 26 जुलाई 1988 को उनके पद छोड़ने के समय,बढ़कर 95 उद्यमों का एक विशाल समूह बन गया।उन्होंने वर्ष 1968 में टाटा कंप्यूटर सेंटर(अब टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज) और सन् 1979 में टाटा स्टील की स्थापना की। वे 50 वर्ष से अधिक समय तक , सन् 1932 में स्थापित सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टी थे। उनके मार्गदर्शन में इस ट्रस्ट ने राष्ट्रीय महत्व के कई संस्थनों की स्थापना की , जैसे टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान (टीआईएसएस, 1936),टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान( टीआईएफआर, 1945), एशिया का पहला कैंसर अस्पताल, टाटा मेमोरियल सेंटर और प्रदर्शन कला के लिए राष्ट्रीय केंद्र। सन् 1945 में उन्होंने टाटा मोटर्स की स्थापना की। जेआरडी टाटा ने सन् 1948 में भारत की पहली अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन के रूप में एयर इंडिया इंटरनेशनल का शुभारंभ किया। सन् 1953 में भारत सरकार ने उन्हें एयर इंडिया का अध्यक्ष और इंडियन एयरलाइंस के बोर्ड का निर्देशक नियुक्त किया। वे इस पद पर 25 साल तक बने रहे। जेआरडी टाटा ने अपने कम्पनी के कर्मचारियों के हित के लिए कई नीतियाँ अपनाई। सन् 1956 में, उन्होंने कंपनी के मामलों में श्रमिकों को एक मजबूत आवाज देने के लिए 'प्रबंधन के साथ कर्मचारी एसोसिएशन' कार्यक्रम की शुरूआत की।उन्होंने प्रति दिन आठ घंटे काम , नि: शुल्क चिकित्सा सहायता, कामगार दुर्घटना क्षतिपूर्ति जैसी योजनाओं को अपनाया। जेआरडी टाटा को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। भारतीय वायु सेना ने उन्हें ग्रुप कैप्टन की मानद पद से सम्मानित किया था और बाद में उन्हें एयर कमोडोर पद पर पदोन्नत किया गया और फिर 1 अप्रैल 1974 को एयर वाइस मार्शल पद दिया गया। विमानन के लिए उनको कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया -मार्च 1979 में टोनी जेनस पुरस्कार ,सन् 1995 में फेडरेशन ऐरोनॉटिक इंटरनेशनेल द्वारा गोल्ड एयर पदक,सन् 1986 में कनाडा स्थित अंतर्राष्ट्रीय नागर विमानन संगठन द्वारा एडवर्ड वार्नर पुरस्कार और सन् 1988 में डैनियल गुग्नेइनिम अवार्ड। सन् 1955 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। उनके नि: स्वार्थ मानवीय प्रयासों के लिए ,सन् 1992 में जेआरडी टाटा को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 29 नवंबर 1993 को गुर्दे में संक्रमण के कारण जिनेवा में 89 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। उनकी मृत्यु पर भारतीय संसद उनकी स्मृति में स्थगित कर दी गई थी।
8:49 PM
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डायबिटीज वाले , जल्दी ही चाहिए यही कमाल। प्री-प्रिनसुलिन से इंसुलिन तक?️ आईएनएस इंसुलिन जीन का अनुवाद राइबोसोम पर अग्न्याशय के लैंगरहैंस के आइलेट्स के बीटा कोशिकाओं में किया जाता है । अनुवाद का उत्पाद एक निष्क्रिय पॉलीपेप्टाइड है जिसमें 106 अमीनो एसिड होते हैं जिन्हें प्री-प्रोन्सुलिन के रूप में जाना जाता है । प्री-प्रिनसुलिन राइबोसोम से रफ एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम के चैनलों में चला जाता है जहां यह एक प्रोटीज एंजाइम द्वारा कार्य किया जाता है जो इस अणु के प्रमुख 24 अमीनो एसिड को हटा देता है, एक संकेत अनुक्रम । यह 82 अमीनो एसिड के एक निष्क्रिय अग्रदूत अणु को छोड़ देता है जिसे प्रिनसुलिन कहा जाता है । प्रोन्सुलिन को गोल्गी कॉम्प्लेक्स में ले जाया जाता है जहां यह आगे संशोधन से गुजरता है । गोल्गी कॉम्प्लेक्स में, प्रोन्सुलिन अणुओं को मोड़ दिया जाता है, सहसंयोजक बंधन बनते हैं और अणुओं को झिल्ली-बाध्य स्रावी कणिकाओं में पैक किया जाता है । स्रावी कणिकाओं के भीतर, प्रिनसुलिन को एक एंजाइम द्वारा साफ किया जाता है जो 31 अमीनो एसिड के एक खंड को हटा देता है, जिसे सी चेन (या सी पेप्टाइड) कहा जाता है । शेष सक्रिय इंसुलिन अणुओं का निर्माण करता है, प्रत्येक एक ए श्रृंखला और एक बी श्रृंखला से बना होता है जो मजबूत सहसंयोजक डाइसल्फ़ाइड - एस – एस - बॉन्ड द्वारा एक साथ रखा जाता है । सक्रिय इंसुलिन को तब गोल्गी कॉम्प्लेक्स से रक्तप्रवाह में आवश्यकतानुसार निर्यात किया जाता है । इसकी रिहाई का संकेत सामान्य रक्त शर्करा के स्तर में वृद्धि है । यह आंकड़ा प्री-प्रोन्सुलिन को इंसुलिन में बदलने की इस प्रक्रिया का एक सरलीकृत सारांश देता है । प्री-प्रिनसुलिन से सक्रिय इंसुलिन के गठन को दर्शाने वाला आरेख। (ए) प्री-प्रिनसुलिन, जीन अनुवाद का तत्काल उत्पाद, प्रमुख सिग्नल अनुक्रम को हटाकर जल्दी से प्रिनसुलिन में संशोधित किया जाता है । (बी) इंसुलिन के निष्क्रिय अग्रदूत प्रोन्सुलिन को सी श्रृंखला को हटाकर सक्रिय इंसुलिन में संशोधित किया जाता है । (सी) सक्रिय इंसुलिन सी टुकड़े को हटाने से बनता है, ए और बी श्रृंखलाओं को सहसंयोजक डाइसल्फ़ाइड बांड द्वारा एक साथ रखा जाता है ।
8:59 PM
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दोस्तों पेश-ए-ख़िदमत है एक पुरानी ग़ज़ल अर्ज़ किया है- ग़ज़ल -------------------------- सियासत की बिना पे क्या किसी को तू बनाता है यहाँ मुस्लिम का बधना भी कोई हिन्दू बनाता है//१ हमारी खाट को जुम्मन चचा बुनते हैं हाथों से और उसके वास्ते तोशक मदन काकू बनाता है//२ पढ़ा लिक्खा हो नेता या नहीं,मंसूब इससे क्या यहाँ सरकार की हर योजना बाबू बनाता है//३ अगर आदम का बच्चा है तो मिहनत की डगर पर चल किसी के सामने क्यों भीख का चुल्लू बनाता है//४ कोई चिमटा बनाता है बनाने के लिए रोटी उसी लोहे के टुकड़े से कोई चाक़ू बनाता है//५ ख़िरद को रब की जानिब मोड़ती हैं मुश्किलें जाँ की ज़मन का दर्द ही इंसाँ को चारा जू बनाता है//६ अगर शौहर को तू लड़ने की ताक़त दे नहीं सकता तो फिर बीवी को क्यों तू ऐ ख़ुदा गबरू बनाता है//७ हक़ीक़त 'र' पे भी है अयाँ ऐ ख़ालिके दुन्या मिटा सकता है उसको कौन जिसको तू बनाता है //८ सियासत-राजनीति बिना पे-आधार पे बधना-लोटा,utensil(made of clay)with a pipe to wash;for ablution तोशक-खाट पे बिछाने वाला गद्दा मंसूब-संबंधित आदम-आदमी चुल्लू-अंजुलि ख़िरद-बुद्धि,अक़्ल जानिब-तरफ़,जानिब ज़मन-समय,ज़माना,काल,संसार चारा जू-समाधान ढूँढने वाला गबरू-हृष्ट-पुष्ट अयाँ-स्पष्ट,ज़ाहिर,दृष्टिगोचर,प्रकट,व्यक्त ख़ालिके दुन्या-दुनिया की रचना करने वाला अर्थात ईश्वर
8:50 PM
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ग़ज़ल ----- अर्ज़ किया है- चिंता नहीं है कुछ,मेरी दुनिया मज़े में है सागर में खो के जैसे कि दर्या मज़े में है //1 मैंने सुना है जागना-सोना मज़े में है मेरे बिना भी आपकी दुनिया मज़े में है //2 उसको भी आसमान की आती है याद पर हम सोचते हैं पिंजरे में तोता मज़े में है //3 इक हम है तेरे नाम जो हर सू हुए ज़लील जबकी तेरी गली का भी कुत्ता मज़े में है //4 दुनिया में आके उसको भी रोना है ज़ार ज़ार जब तक है मां के पेट में, बच्चा मज़े में है //5 कब तक मनाए ख़ैर वो, रेशम के वास्ते जब तक उबाला जाए न, कीड़ा मज़े में है //6 खा लो तुम अपने पैसों से तुमको अगर है भूख रहने दो मेरी जेब में रुपया, मज़े में है //7 आख़िर में उसको जाना है लोगों के पेट में जब तक नहीं बिका है, समोसा मज़े में है //8 थूका कभी तो जाएगा नाली में एक दिन जब तक है मुँह में आपके, गुटखा मज़े में है //9 मैंने सुना है बीवी के बाद-अज़-वफ़ात 'राज़' साली के साथ इन दिनों जीजा मज़े में है //10 چنتا نہیں ہے کچھ، میری دنیا مزے میں ہے ساگر میں کھو کے جیسے کہ دریا مزے میں ہے //1 میں نے سنا ہے جاگنا سونا مزے میں ہے میرے بنا بھی آپکی دنیا مزے میں ہے //2 اسکو بھی آسمان کی آتی ہے یاد پر ہم سوچتے ہیں پنجرے میں طوطا مزے میں ہے //3 اک ہم ہے تیرے نام جو ہر سو ہوئے ذلیل جب کی تیری گلی کا بھی کتا مزے میں ہے //4 دنیا میں آکے اسکو بھی رونا ہے زار زار جب تک ہے ماں کے پیٹ میں، بچہ مزے میں ہے //5 کب تک منائے خیر وہ، ریشم کے واسطے جب تک ابالا جائے نہ، کیڑا مزے میں ہے //6 کھا لو تم اپنے پیسوں سے تم کو اگر ہے بھوک رہنے دو میری جیب میں روپیہ، مزے میں ہے //7 آخر میں اسکو جانا ہے لوگوں کے پیٹ میں جب تک نہیں بکا ہے، سموسہ مزے میں ہے //8 تھوکا کبھی تو جائیگا نالی میں ایک دن جب تک ہے منہ میں آپکے، گٹکھا مزے میں ہے //9 میں نے سنا ہے بیوی کے بعد از وفات 'راز' سالی کے ساتھ ان دنوں جیجا مزے میں ہے //10 ज़लील-जिसका अपमान हुआ हो,बेइज़्ज़त,अपमानित,तिरस्कृत ज़ार ज़ार-अत्यधिक फूट-फूट कर बाद-अज़-वफ़ात-मृत्यु के बाद
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